Friday, August 28, 2009

शाहीर योगेश यांचा पोवाडा - धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज

देश धरम पर मिटने वाला।
शेर शिवा का छावा था।।
महापराक्रमी परम प्रतापी।
एक ही शंभू राजा था।।
तेज:पुंज तेजस्वी आँखें।
निकल गयीं पर झुका नहीं।।
दृष्टि गयी पण राष्ट्रोन्नति का।
दिव्य स्वप्न तो मिटा नहीं।।
दोनो पैर कटे शंभू के।
ध्येय मार्ग से हटा नहीं।।
हाथ कटे तो क्या हुआ?।
सत्कर्म कभी छुटा नहीं।।
जिव्हा कटी, खून बहाया।
धरम का सौदा किया नहीं।।
शिवाजी का बेटा था वह।
गलत राह पर चला नहीं।।
वर्ष तीन सौ बीत गये अब।
शंभू के बलिदान को।।
कौन जीता, कौन हारा।
पूछ लो संसार को।।
कोटि कोटि कंठो में तेरा।
आज जयजयकार है।।
अमर शंभू तू अमर हो गया।
तेरी जयजयकार है।।
मातृभूमि के चरण कमलपर।
जीवन पुष्प चढाया था।।
है दुजा दुनिया में कोई।
जैसा शंभू राजा था?।।
- शाहीर योगेश

"कणा"


Thursday, August 13, 2009

संदीप खरे - आज मी आयुष्य .....

आज मी आयुष्य माझे चाचपाया लागलो
नेमके ते हरवले जे मी जपाया लागलो .....

शोधले माझेच पत्ते आत मी माझ्या किती
जरा हरवलो तेव्हाच कोठे सापडाया लागलो .....

ठरवले हे पाहीजे, ते पाहीजे, ते ही हवे
मागण्या ताज्या तवान्या मी धकाया लागलो .....

मी सुखला पाळले बांधून दरी माझीया
ते सुखाने झोपले मी गस्त द्याया लागलो .....

गीत माझ्या लेखणीचे इतुके भिनले तिला
ती लिहाया बैसली अन मी सुचाया लागलो .....

मज न आता थोडकी आशा कुणी की 'वा' म्हणा
आज मी माझ्याचसाठी गुणगुणाया लागलो .....

काय हे आयुष्य माझे, काय हे जगाने तरी
मला सोडून मी सर्वांना आवडाया लागलो .....

Monday, August 3, 2009

छत्रपति शिवाजी महाराज .....































"निश्चयाचा महामेरू|
बहुत जनांसी आधारू|
अखंड स्थितीचा निर्धारू|
श्रीमंत योगी|"
-- श्रीसमर्थ रामदासस्वामी